एक अनजाना सा सफर
एक अनजानी सी डगर
मंजिल है किधर
कुछ भी नहीं खबर
अनजाना सा गीत कोई
गुनगुना रहा हूं
बस अपनी ही धुन में
मैं चला जा रहा हूं .(कृष्ण धर शर्मा,2000)
एक अनजानी सी डगर
मंजिल है किधर
कुछ भी नहीं खबर
अनजाना सा गीत कोई
गुनगुना रहा हूं
बस अपनी ही धुन में
मैं चला जा रहा हूं .(कृष्ण धर शर्मा,2000)
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