नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 13 मई 2013

फिर से अपने देश को हमको

आंधी हो या तूफ़ान हो भ्रष्ट हो या बेईमान हो चाहे वह रिश्वतखोर हो या फिर कोई चोर हो हमें बचाना है इनसे अपने प्यारे भारत को करनी है अब हमें सफाई मार भगाना है इनको बहुत हो गया जंगलराज अब तो लाना है स्वराज राजे-महराजों को भगाओ अब तो करेगी जनता राज बहुत चल चुके पीछे-पीछे अब तो चलेंगे हम आगे आओ मिलकर करें उपाय भारत से बेकारी भागे अब तो हमको भारत का खोया सम्मान लौटना है फिर से अपने देश को हमको नंबर वन पर लाना है. (कृष्ण धर शर्मा, २०१३)

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