नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 23 जून 2018

पुराना पुल, प्रेम और बूढ़े लोग



पुराने पुल के आखिरी छोर पर
शाम के धुंधलके में बैठे हुए 
दूर से आती लैंप पोस्ट की
मद्दिम रोशनी के सहारे
पढ़ना किसी का प्रेम पत्र 
प्रेम करने वालों के लिए
कितना आकर्षक होता है न!
दिनभर की भागा-दौड़ी से दूर
शाम को पुराने पुल पर
टहलते हुए बूढ़े लोग
उन्हें अपना सा लगता है
बूढ़ा और जर्जर हो चुका पुल
लगे भी क्यों न भला!
फुरसत में वह भी हैं और पुल भी
दोनों ही के पास बची हैं
अतीत की सुनहरी यादें
खाली समय काटने के लिए
हाँ मगर कचोटता भी है
कभी-कभी यह खालीपन
नए बन चुके पुल के सामने
मगर कौन याद करना चाहेगा
पुराने पुल या बूढ़े लोगों को!  
        (कृष्ण धर शर्मा, 25.8.2017)

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