"महाराजा रात को काफ़ी देर से सोते थे। उनका क़ायदा था कि अगले दिन शाम को उनकी नींद टूटने का जब वक़्त हो, तब उनकी अंग्रेज महारानी डोरोथी और महल की रानियां हल्के-हल्के उनके पैर दबाएं और धीमी मगर सुरीली आवाज़ में गीत गाती रहें। जागने पर महाराजा को 'बेड टी' पेश की जाए। महाराजा कुछ वहमी आदत के थे। रात को, रोज़ उनका हुक्म जारी होता था कि आंखें खुलने पर सबसे पहले महल की फलां-फलां रानियां उनकी नजरों के सामने पड़ें। उनका यकीन था कि अगले 24 घंटे राजी-खुशी गुजारने के लिए यह इंतजाम जरूरी है।" (महाराजा-दीवान जरमनी दास)
#साहित्य_की_सोहबत #पढ़ेंगे_तो_सीखेंगे
#हिंदीसाहित्य #साहित्य #कृष्णधरशर्मा
Samajkibaat समाज की बात
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें