तब भगवान ने उत्तर दिया- "हे पापरहित अर्जुन! आरंभ से ही इस जगत में दो मार्ग चलते आए हैं : एक में ज्ञान की प्रधानता है और दूसरे में कर्म की। पर तू स्वयं देख ले कि कर्म के बिना मनुष्य अकर्मी नहीं हो सकता, बिना कर्म के ज्ञान आता ही नहीं। सब छोड़कर बैठ जानेवाला मनुष्य सिद्ध पुरुष नहीं कहला सकता।" (गीता माता-मोहनदास करमचंद गांधी)
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