नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

गीता माता-मोहनदास करमचंद गांधी

 तब भगवान ने उत्तर दिया- "हे पापरहित अर्जुन! आरंभ से ही इस जगत में दो मार्ग चलते आए हैं : एक में ज्ञान की प्रधानता है और दूसरे में कर्म की। पर तू स्वयं देख ले कि कर्म के बिना मनुष्य अकर्मी नहीं हो सकता, बिना कर्म के ज्ञान आता ही नहीं। सब छोड़कर बैठ जानेवाला मनुष्य सिद्ध पुरुष नहीं कहला सकता।" (गीता माता-मोहनदास करमचंद गांधी)




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