"कितना होता होगा पांच हजार रुपया? पांच हजार! शायद एक बड़े घड़े में भरा जाए तो भी न समाए या फिर उसके लिए बहुत ही बड़े लोहे के संदूक की जरूरत होती हो। हरी ने सोचा और उस जंगली पौधे के मुलायम पत्तों का गट्ठा घास की डोरी में बांध लिया जिसे वह कुकरौंधा कहता था और जिसके बारे में उसका खयाल था कि उसके रस से चोट ठीक हो जाती है।"
(मुद्राराक्षस संकलित कहानियां-मुद्राराक्षस)
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