"इससे मैं कुछ समझ नहीं पायी। मि. पीरज़ादा और मेरे मां-बाप एक ही भाषा बोलते हैं, एक ही तरह के चुटकुलों पर हंसते हैं, कमोबेश एक ही जैसे दिखायी पड़ते थे। वे अपने खाने में आम का अचार खाते हैं, अपने हाथों से रात के भोजन में चावल खाते हैं। मेरे मां-बाप की तरह कमरे में प्रवेश से पहले मि. पीरज़ादा जूते उतारते हैं, खाना खाने के बाद हाजमे के लिए सौंफ खाते हैं, शराब नहीं पीते हैं, भोजन के अंत में मीठे व्यंजन के तौर पर बिना किसी आडम्बर के चाय के कप में बिस्कुट डुबाकर खाते थे। तिस पर भी मेरे पिता आग्रह करते थे कि मैं अंतर समझूं और वे मुझे अपने डेस्क के ऊपर लगे दुनिया के नक्शे के सामने ले जाते हैं। वे चिंतित दिखते थे कि मि. पीरज़ादा उसे भारतीय के रूप में संबोधन से नाराज हो सकते हैं, हालांकि मैं वास्तव में कल्पना नहीं कर सकती थी कि मि. पीरज़ादा किसी चीज से खीज सकते थे "मि. पीरज़ादा बंगाली हैं मगर वह एक मुसलमान हैं"
(मर्जों का दुभाषिया- झुम्पा लाहिड़ी)
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