"वर्ली के बाहर खचाखच भरी बेस्ट की डबलडेकर बस में बम विस्फोट हुआ। यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि पांच टन की बस हवा में उड़ गई और उसका ऊपरी हिस्सा नेहरू नगर की झोपड़पट्टी कॉलोनी तक गिरता देखा गया। वहां के निवासियों ने जब धातु और मानव शरीर के टुकड़ों को हवा में लहराते देखा तो दहशत फैल गई।
दिल दहला देने वाला नज़ारा था। एक पानवाले का सिर धड़ से अलग होकर काउंटर पर पड़ा था। 'बाटा' के मैनेजर नियोगी का शरीर एक-दूसरे के ऊपर गिरी दो दीवारों के बीच कुचला पड़ा था।
उस दिन मुंबई में कुछ क्षणों के अंतराल पर दस विस्फोट हुए। एक करोड़ तीस लाख की आबादी वाले इस शहर में सिर्फ डेढ़ हजार फायरमैन और पैंतालीस दमकल थे। (ब्लैक फ़्राइडे- एस. हुसैन. जैदी) (मुंबई बम धमाकों की सच्ची दास्तान)
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