नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

ब्लैक फ़्राइडे- एस. हुसैन. जैदी

 "वर्ली के बाहर खचाखच भरी बेस्ट की डबलडेकर बस में  बम विस्फोट हुआ। यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि पांच टन की बस हवा में उड़ गई और उसका ऊपरी हिस्सा नेहरू नगर की झोपड़पट्टी कॉलोनी तक गिरता देखा गया। वहां के निवासियों ने जब धातु और मानव शरीर के टुकड़ों को हवा में लहराते देखा तो दहशत फैल गई। 

 दिल दहला देने वाला नज़ारा था। एक पानवाले का सिर धड़ से अलग होकर काउंटर पर पड़ा था। 'बाटा' के मैनेजर नियोगी का शरीर एक-दूसरे के ऊपर गिरी दो दीवारों के बीच कुचला पड़ा था। 

उस दिन मुंबई में कुछ क्षणों के अंतराल पर दस विस्फोट हुए। एक करोड़ तीस लाख की आबादी वाले इस शहर में सिर्फ डेढ़ हजार फायरमैन और पैंतालीस दमकल थे। (ब्लैक फ़्राइडे- एस. हुसैन. जैदी) (मुंबई बम धमाकों की सच्ची दास्तान)



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