बस्तर, भारत के छत्तीसगढ़ प्रदेश के दक्षिण दिशा में स्थित जिला है। बस्तर
जिले एवं बस्तर संभाग का मुख्यालय जगदलपुर शहर है। यह पहले दक्षिण कौशल नाम से
जाना जाता था। ख़ूबसूरत जंगलों और आदिवासी संस्कृति में रंगा ज़िला बस्तर, प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है। 6596.90 वर्ग किलोमीटर में फैला ये ज़िला एक समय केरल जैसे राज्य और बेल्जियम,
इज़राइल जैसे देशॊ से बड़ा था। ज़िले का संचालन व्यवस्थित रूप से
हो सके इसके लिए 1999 में इसमें से दो अलग ज़िले कांकेर
और दंतेवाड़ा बनाए गए। बस्तर जिला छत्तीसगढ़ प्रदेश
के कोंडागांव, दन्तेवाडा ,सुकमा,
बीजापुर जिलों से घिरा हुआ है। बस्तर
का ज़िला मुख्यालय जगदलपुर, राजधानी रायपुर से 305 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बस्तर
जिले की जनसंख्या वर्ष 2011 में 14,13,199 ,वर्तमान
कोंडागांव जिले को सम्मिलित करते हुए थी। जिसमे 6,98,487 पुरुष एवं 7,14,712 महिलाएं थी । बस्तर की
जनसन्ख्या मे 70 प्रतिशत जनजातीय समुदाय जैसे गोंड,
मारिया, मुरिया, भतरा, हल्बा, धुरुवा
समुदाय हैं। बस्तर जिला को सात विकासखण्ड / तहसील जगदलपुर, बस्तर, बकावंड, लोहंडीगुडा,
तोकापाल, दरभा और बास्तानार में विभाजित
किया गया है। बस्तर जिला सरल स्वाभाव जनजातीय समुदाय और प्राकृतिक सम्पदा संपन्न
हुए प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सुखद वातावरण का भी धनी है।
उड़ीसा
से शुरू होकर दंतेवाड़ा की भद्रकाली नदी में समाहित होने वाली करीब 240 किलोमीटर लंबी
इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति की प्रतीक है। इंद्रावती नदी
के मुहाने पर बसा जगदलपुर एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं हस्तशिल्प केन्द्र है। यहां
मौजूद मानव विज्ञान संग्रहालय में बस्तर के आदिवासियों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोरंजन से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। डांसिंग
कैक्टस कला केन्द्र, बस्तर के विख्यात कला संसार की अनुपम
भेंट है। बस्तर जिले के लोग दुर्लभ कलाकृति, उदार
संस्कृति एवं सहज सरल स्वभाव के धनी हैं।
बस्तर
जिला घने जंगलों, ऊँची, पहाड़ियों, झरनों,
गुफाओ एवं वन्य प्राणियों से भरा हुआ है। बस्तर महल,
बस्तर दशहरा, दलपत सागर, चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर और कैलाश गुफ़ा आदि पर्यटन के
मुख्य केंद्र हैं|
ऐतिहासिक
रूप से क्षेत्र महाकाव्य रामायण में दंडकारण्य और महाभारत में कोसाला साम्राज्य का
हिस्सा है।
बस्तर रियासत
1324 ईस्वी के आसपास स्थापित हुई थी, जब
अंतिम काकातिया राजा, प्रताप रुद्र देव (12 9
0-1325) के भाई अन्नाम देव ने वारंगल को छोड़ दिया और बस्तर में अपना शाही साम्रज्य स्थापित किया | महाराजा अन्नम देव के बाद महाराजा हमीर देव, बैताल
देव, महाराजा पुरुषोत्तम देव, महाराज
प्रताप देव ,दिकपाल देव ,राजपाल
देव ने शासन किया |बस्तर शासन की प्रारंभिक राजधानी बस्तर
शहर में बसाई गयी, फिर जगदलपुर शहर में स्थान्तरित की
गयी। बस्तर में अंतिम शासन महाराजा प्रवीर चन्द्र भंज देव (1936-1948) ने किया। महाराजा प्रवीर चन्द्र भंज देव बस्तर के सभी समुदाय,
मुख्यतः आदिवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। ‘दंतेश्वरी, जो अभी भी बस्तर क्षेत्र
की आराध्य देवी है, प्रसिद्ध
दांतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा में उनके नाम पर रखा गया
है।
1948 में भारत के राजनीतिक एकीकरण के दौरान बस्तर रियासत को भारत में विलय
कर दिया गया ।
साभार- bastar.gov.in
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