नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 19 मार्च 2020

बस्तर की अर्थव्यवस्था


अर्थव्यवस्था
बस्तर जिले की मुख्य फसल धान है| खरीफ सीजन के दौरान धान मुख्य रूप से उगाया जाता है क्योंकि बारिश वाली फसल में 2.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र होता है लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में इस फसल की उत्पादकता 08.53 क्विंटल / हेक्टेयर है। बस्तर जिले में सिंचित क्षेत्र (1.67%) और उर्वरक उपयोग (4.6 किलोग्राम / हेक्टेयर) बहुत कम है, जो फसल को पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करने के लिए अपर्याप्त है| मक्का दलहन मुख्यतः रबी फसल है |
बस्तर में आजीविका का पैटर्न परंपरा द्वारा निर्धारित किया जा रहा है। आज भी, कृषि प्रथा पारंपरिक हैं। लकड़ी के हल का उपयोग अधिक  है जबकि लोहे के हल की संख्या नगण्य है। 
ट्रैक्टरों की संख्या नगण्य है जबकि बैल गाड़ियां सभी व्यापक हैं। पारंपरिक कृषि उपकरणों के उपयोग ने कृषि के उत्पादन को कम कर दिया है। यहां उगाई गई खरीफ फसलें  धान, उड़द, अरहर, ज्वार और मक्का हैं। रबी फसलों में  तिल, अलसी , मूंग, सरसों और चना  शामिल हैं। वन उत्पादन और अन्य वन-संबंधित कार्यों की संग्रह और बिक्री कम कृषि आय की पूरक है।
अपने जल संसाधनों में असाधारण रूप से भाग्यशाली, इस क्षेत्र में अच्छी बारिश होती है और अपर्याप्त इलाके के कारण तेजी से चलती है। वर्षा जल संचयन की संभावना है|
बस्तर जिले की अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधारकृषि और वनोपज संग्रहण है । कृषि में प्रमुख रूप से धान ,मक्का की फसल का और गेहूज्वारकोदो कुटकीचनातुअरउड़दतिलराम तिलसरसों सहायक रूप से उत्पादन किया जाता है । कृषि के अलावा पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन भी सहायक भूमिका निभाते हैं ।
वनोपज संग्रहण यहाँ के ग्रामीणों के जीवन उपार्जन के प्रमुख श्रोतों में से एक है । वनोपज संग्रहण में कोषा (तसर), तेंदू पत्ता, लाख, धुपसाल बीज, इमली, अमचूर, कंद, मूल ,औषधियां, प्रमुख हैं। पत्थर, गिट्टी, मुरुम, फर्शी पत्थर, रेत का खनन भी अर्थ्वाव्स्था के सहयोगी तत्त्व हैं।
साभार- bastar.gov.in

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