नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 31 मार्च 2020

गणित


मैंने नीलू से कहा कि “भाई क्यों नहीं तुम उज्ज्वला योजना में मिले गैस सिलेंडर को भरवा देते! कम से कम तुम्हारी माँ को दिनभर लकड़ी के लिए जंगल में तो नहीं भटकना पड़ेगा और तुम्हारी पत्नी को भी खाना बनाते समय धुएं में परेशान नहीं होना पड़ेगा!”
नीलू ने मेरी बात को टालना चाहा तो मैंने फिर उसे समझाते हुए कहा “देखो भाई, सीधा सा गणित है. अगर तुम्हारी माँ पूरे महीने में 10 दिन भी लकड़ी चुनने जंगल जाती हैं तो 10 दिन की मजदूरी कम से कम 2000 रूपये होती है न! और गैस सिलेंडर 750 रूपये में भी भरवाते हो तो वह कम से कम 45 दिन तो चलेगा ही न! फिर फायदा किस्में है!”
नीलू ने मुस्कुराते हुए कहा कि “घर काम के लिए तो बीवी है ही, फिर माँ दिनभर घर में बैठकर करेगी भी क्या! वह इस बुढ़ापे में कहीं मजदूरी तो कर नहीं सकती! और जंगल नहीं काटेंगे तो हमें नए खेत कैसे कब्ज़ा करने को मिलेंगे!
नीलू ने एक ही झटके में मेरे सारे गणित पर पानी फेर दिया और मैं उसका गणित समझने की कोशिश करता रह गया.      
    कृष्ण धर शर्मा 12.8.2019 
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