एक दिन “अ” और “ब” में लड़ाई हुई. लड़ाई घर के बाहर बने चबूतरे को लेकर
थी. “ब” ने चबूतरे की मरम्मत करवाते समय उसके आकार में बित्ते भर का इजाफा कर लिया
था इसलिए “अ” ने “ब” को पहले प्यार से समझाया फिर बहस करने पर धमकाया भी. मगर “ब”
ने कहा “कि तुम मेरे चबूतरे से क्यों चिढ़ते हो! तुमको बहुत बुरा लग रहा है तो तुम
भी अपना चबूतरा थोडा सा बढ़ा लो.”
“अ” ने भड़कते हुए कहा कि “पागल हो गए हो क्या! इससे इस रास्ते से
आने-जाने वालों को परेशानी नहीं हो जाएगी क्या!”
“ब” ने कहा “कोई परेशानी नहीं होगी. थोड़े दिन के लिए असुविधा होगी मगर
बाद में आदत पड़ जाएगी. फिर कोई कुछ नहीं बोलेगा.”
“अ” को “ब” कि बात जंच गई और उसने भी रास्ते की तरफ अपना चबूतरा
बित्ता भर बढ़ा लिया. अब दोनों पड़ोसी अपने-अपने चबूतरे पर बैठ कर दुनिया-जहान की बातें
करते हुए खुश रहते हैं और रास्ते से गुजरने वालों की परेशानियाँ को अनदेखा करते
रहते हैं.
कृष्ण धर शर्मा 7-9-2019
समाज की बात
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