नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 26 जून 2020

कठगुलाब- मृदुला गर्ग

 "मुझे बहुत हंसी आयी थी। जो लोग बात-बात पर प्यार करते हैं और बात-बात पर तलाक, जिनके यहाँ करीब-करीब हर बच्चे के दो-एक सौतेले या संरक्षक माँ-बाप होते हैं, जिन्हें अपने आजाद समाज और सेक्स के अमर्यादित आनन्द पर इतना नाज है; वे यह भी मानते हैं कि माँ-बाप के सेक्स सम्बन्धों का बच्चों पर इतना दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, उन्हीं प्रभावों की शिनाख्त, निरूपण और इलाज पर लाखों डॉलर की खपतवाला या साइक्याट्रिक उद्योग टिका हुआ है। (कठगुलाब- मृदुला गर्ग)



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