कैलाश मंदिर संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु जिसे मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई0) में निर्मित कराया था। यह एलोरा (जिला औरंगाबाद) स्थित लयण-श्रृंखला में है।
बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है। अपनी समग्रता में २७६ फीट लम्बा , १५४ फीट चौड़ा यह मंदिर केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानत: ४० हज़ार टन भार के पत्थारों को चट्टान से हटाया गया। इसके निर्माण के लिये पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट-काट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर गढ़ा गया है। मंदिर के भीतर और बाहर चारों ओर मूर्ति-अलंकरणों से भरा हुआ है। इस मंदिर के आँगन के तीन ओर कोठरियों की पाँत थी जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपरी खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है। सामने खुले मंडप में नन्दी है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी तथा स्तंभ बने हैं। यह कृति भारतीय वास्तु-शिल्पियों के कौशल का अद्भुत नमूना है।
1.भगवान् शिव को समर्पित इस कैलाशनाथ मंदिर को बनाने में 10 पीढियों ने लगातार लगभग 200 वर्ष तक काम किया था।
2.कैलाशनाथ मंदिर की ऊचांई 90 फ़ीट है, यह 276 फ़ीट लम्बा और 154 फ़ीट चौड़ा गुफा मंदिर है।
3.कैलाशनाथ मंदिर एक ही विशाल चट्टान को तोड़ कर बनाया गया है, लगभग 40 हजार टन भार के पत्थारों को चट्टान से अलग कर के बनाया गया है यह भव्य मंदिर।
4.कैलाशनाथ मंदिर बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को ही तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिरों का रूप दिया गया है। लगभग 7000 शिल्पियों ने लगातार काम करके इसे तैयार किया है, इसकी नक्काशी अत्यंत विशाल और भव्य है।
5.मंदिर में एक विशाल हाथी की प्रतिमा भी है जो अब खंडित हो चुकी है।
7.विशाल गोपुरम से प्रवेश करते ही सामने खुले मंडप में नंदी की प्रतिमा नजर आती है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी और स्तंभ बने हुए हैं।
8.कैलाश नाथ मंदिर में बनी भैरव की मूर्ति काफी भयकारक दिखाई देती है। कैलाश मंदिर में एक अति विशाल और भव्य शिवलिंग भी है। इसके अलावा भगवान शिव की तांडव करती हुई प्रतिमा इतनी भव्य है जैसी कहीं और देखने को नहीं मिलेगी ।
साभार-Indias Heritage
#समाज की बात। #Samaj ki Baat
#कृष्णधर शर्मा। #krishnadhar sharma
बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है। अपनी समग्रता में २७६ फीट लम्बा , १५४ फीट चौड़ा यह मंदिर केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानत: ४० हज़ार टन भार के पत्थारों को चट्टान से हटाया गया। इसके निर्माण के लिये पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट-काट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर गढ़ा गया है। मंदिर के भीतर और बाहर चारों ओर मूर्ति-अलंकरणों से भरा हुआ है। इस मंदिर के आँगन के तीन ओर कोठरियों की पाँत थी जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपरी खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है। सामने खुले मंडप में नन्दी है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी तथा स्तंभ बने हैं। यह कृति भारतीय वास्तु-शिल्पियों के कौशल का अद्भुत नमूना है।
1.भगवान् शिव को समर्पित इस कैलाशनाथ मंदिर को बनाने में 10 पीढियों ने लगातार लगभग 200 वर्ष तक काम किया था।
2.कैलाशनाथ मंदिर की ऊचांई 90 फ़ीट है, यह 276 फ़ीट लम्बा और 154 फ़ीट चौड़ा गुफा मंदिर है।
3.कैलाशनाथ मंदिर एक ही विशाल चट्टान को तोड़ कर बनाया गया है, लगभग 40 हजार टन भार के पत्थारों को चट्टान से अलग कर के बनाया गया है यह भव्य मंदिर।
4.कैलाशनाथ मंदिर बाहर से मूर्ति की तरह समूचे पर्वत को ही तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिरों का रूप दिया गया है। लगभग 7000 शिल्पियों ने लगातार काम करके इसे तैयार किया है, इसकी नक्काशी अत्यंत विशाल और भव्य है।
5.मंदिर में एक विशाल हाथी की प्रतिमा भी है जो अब खंडित हो चुकी है।
7.विशाल गोपुरम से प्रवेश करते ही सामने खुले मंडप में नंदी की प्रतिमा नजर आती है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी और स्तंभ बने हुए हैं।
8.कैलाश नाथ मंदिर में बनी भैरव की मूर्ति काफी भयकारक दिखाई देती है। कैलाश मंदिर में एक अति विशाल और भव्य शिवलिंग भी है। इसके अलावा भगवान शिव की तांडव करती हुई प्रतिमा इतनी भव्य है जैसी कहीं और देखने को नहीं मिलेगी ।
साभार-Indias Heritage
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अदभुत कलाकारी महाराष्ट्र की धरती पर कैलास मंदिर के रूप में है. अच्छी जानकारी शेअर की है. क्या आपने कैलाश पर्वत के बारे में कुछ लिखा है. हमने हमारे ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी है. Kailash Parvat Mystery
जवाब देंहटाएंआपको कैसे लगी बताएगा जरुर.