चौदहवीं शताब्दी के दौरान मध्य कालीन भारत के महानतम साम्राज्यों में से एक विजयनगर साम्राज्य की राजधानी, हम्पी कर्नाटक राज्य के दक्षिण में स्थित है। हम्पी के चौंदहवीं शताब्दी के भग्नावशेष यहां लगभग 26 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र में फैले पड़े हैं, इनमें विशालकाय स्तंभ और वनस्पति शामिल है।
चौदहवीं शताब्दी के दौरान मध्य कालीन भारत के महानतम साम्राज्यों में से एक, विजयनगर साम्राज्य की राजधानी, हम्पी कर्नाटक राज्य के दक्षिण में स्थित है। हम्पी के चौंदहवीं शताब्दी के भग्नावशेष यहां लगभग 26 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र में फैले पड़े हैं, इनमें विशालकाय स्तंभ और वनस्पति शामिल है। उत्तर में तुंगभद्रा नदी और अन्य तीन ओर पत्थरीले ग्रेनाइट के पहाडों से सुरक्षित ये भग्नावशेष मौन रह कर अपनी भव्यता, विशालता अद्भुत संपदा की कहानी कहते हैं। महलों और टूटे हुए शहर के प्रवेश द्वारा की गरिमा मनुष्य की असीमित प्रतिभा तथा रचनात्मक की शक्ति की कहानी कहती है जो मिलकर संवेदनाहीन विनाश की क्षमता भी दर्शाती है।
विजय नगर शहर के स्मारक विद्या नारायण संत के सम्मान में विद्या सागर के नाम से भी जाने जाते हैं, जिन्होंने इसे 1336 - 1570 ए. डी. के बीच हरीहर - 1 से सदाशिव राय की अवधियों में निर्मित कराए। इस राजवंश के महानतम शासक कृष्ण देव राय (एडी 1509 - 30) द्वारा बड़ी संख्या में शाही इमारतें बनवाई गई।
इस अवधि में हिन्दू धार्मिक कला, वास्तुकला को एक अप्रत्याशित पैमाने पर दोबारा उठते हुए देखा गया। हम्पी के मंदिरों को उनकी बड़ी विमाओं, फूलदार सजावट, स्पष्ट और कोमल पच्चीकारी, विशाल खम्भों, भव्य मंडपों और मूर्ति कला तथा पारम्परिक चित्र निरुपण के लिए जाना जाता है, जिसमें रामायण और महाभारत के विषय शामिल है।
हम्पी में स्थित विठ्ठल मंदिर विजय नगर शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। देवी लक्ष्मी, नरसिंह और गणेश की एक पत्थर से बनी मूर्तियां अपनी विशालता और भव्यता के लिए उल्लेखनीय है। यहां स्थित कृष्ण मंदिर, पट्टाभिराम मंदिर, हजारा राम चंद्र और चंद्र शेखर मंदिर भी यहां के जैन मंदिर हैं जो अन्य उदाहरण हैं। हम्पी के अधिकांश मंदिरों में कई स्तर वाले मंडपों के बगल में व्यापक रूप से फैले बाजार हैं।
उत्तर में तुंगभद्रा नदी और अन्य तीन ओर पत्थरीले ग्रेनाइट के पहाडों से सुरक्षित ये भग्नावशेष मौन रह कर अपनी भव्यता, विशालता अद्भुत संपदा की कहानी कहते हैं। महलों और टूटे हुए शहर के प्रवेश द्वारा की गरिमा मनुष्य की असीमित प्रतिभा तथा रचनात्मक की शक्ति की कहानी कहती है जो मिलकर संवेदनाहीन विनाश की क्षमता भी दर्शाती है।
विजय नगर शहर के स्मारक विद्या नारायण संत के सम्मान में विद्या सागर के नाम से भी जाने जाते हैं, जिन्होंने इसे 1336 - 1570 ए. डी. के बीच हरीहर - 1 से सदाशिव राय की अवधियों में निर्मित कराए। इस राजवंश के महानतम शासक कृष्ण देव राय (एडी 1509 - 30) द्वारा बड़ी संख्या में शाही इमारतें बनवाई गई।
इस अवधि में हिन्दू धार्मिक कला, वास्तुकला को एक अप्रत्याशित पैमाने पर दोबारा उठते हुए देखा गया। हम्पी के मंदिरों को उनकी बड़ी विमाओं, फूलदार सजावट, स्पष्ट और कोमल पच्चीकारी, विशाल खम्भों, भव्य मंडपों और मूर्ति कला तथा पारम्परिक चित्र निरुपण के लिए जाना जाता है, जिसमें रामायण और महाभारत के विषय शामिल है।
हम्पी में स्थित विठ्ठल मंदिर विजय नगर शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। देवी लक्ष्मी, नरसिंह और गणेश की एक पत्थर से बनी मूर्तियां अपनी विशालता और भव्यता के लिए उल्लेखनीय है। यहां स्थित कृष्ण मंदिर, पट्टाभिराम मंदिर, हजारा राम चंद्र और चंद्र शेखर मंदिर भी यहां के जैन मंदिर हैं जो अन्य उदाहरण हैं। हम्पी के अधिकांश मंदिरों में कई स्तर वाले मंडपों के बगल में व्यापक रूप से फैले बाजार हैं।
साभार- Indias Heritage
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