जो उठाएगा सवाल
तुम्हारी इस भेदभावपूर्ण
व्यवस्था के खिलाफ
दबा दी जाएगी हर वह आवाज
जो उठेगी तुम्हारे खिलाफ
काट दी जाएगी हर वह नस
जिसमें बहेगा लहू तुम्हारी
अतिवादी सोच के खिलाफ
बंद कर दिए जायेंगे हर वह रास्ते
जो जाते हों मानवता के मंदिर की ओर
मजबूर कर दिया जायेगा सबको
आपस में नफ़रत करने पर
एक-दूसरे को मारने-काटने पर
फिर सबकुछ वैसा ही होने लगेगा
जैसा कि तुम कल्पना करते थे
मगर क्या तुम जी पाओगे चैन से!
जबकि न होगा तुम्हारा कोई विरोधी
अगर तुम गड्ढे में भी गिरने वाले होगे
तो कोई भी नहीं करेगा तुम्हें सचेत
क्योंकि सब तो तुमसे डरे हुए ही होंगे!
(कृष्ण धर शर्मा, 19.01.2020)
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