नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

जहालत के पचास साल- श्रीलाल शुक्ल

 "बया ने बन्दर से कहा 'ऐ भाई, तुम क्यों इस घोर वर्षा में कष्ट उठा रहे हो? तुमने शायद मेहनत करके अपना घोंसला नहीं बनाया। इसी कारण तुमको इतना कष्ट हो रहा है। देखो, हमने कितना सुन्दर घोंसला बना लिया है। इसी से हम इस बरसात और जाड़े में भी सुखी हैं। तुम भी अगर आलस त्याग कर अपना घर बना डालो तो तुम्हें इस भयंकर ऋतु का कष्ट न झेलना पड़े। ऐ भाई, साहस और पुरुषार्थ से काम लो।' बन्दर को न जाने क्या सूझा कि वह दाँत निकालकर घोंसले पर झपटा। उसने बया के अंडे तोड़ डाले। उसका घोंसला उजाड़ दिया।

 बया घबराहट में कुछ और न करके चीखने लगा। उसका घोंसला उजड़ गया और वह अपनी पत्नी के साथ दुखी होकर उजड़े हुए घोंसले पर शोक प्रकट करता रहा। सच है, नीच को कभी अच्छी सलाह नहीं देनी चाहिए।" (जहालत के पचास साल- श्रीलाल शुक्ल)



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रविवार, 11 अक्टूबर 2020

माहौल-ए-रंजिश में

 खुशकिस्मत हैं वो मयस्सर है जिन्हें नींद का तोहफा

इस माहौल-ए-रंजिश में भला नींद कहाँ आती है

                       कृष्णधर शर्मा 10.10.20