सरकार के स्तर पर नागरिकों के लिए अनेक कल्याणकारी
योजनाएं व कार्यक्रम हैं। विशेषकर निर्धन वर्ग व जरूरतमंद महिलाओं के लिए ऐसे अनेक
कार्यक्रम हैं जो सही ढंग से उन तक पहुंचें तो काफी राहत पंहुचा सकते हैं। इसके
अतिरिक्त समुदाय की आंतरिक समस्याओं से भी राहत मिलने के सरकार के कार्यक्रम है।
उदाहरण के लिए घरेलू हिंसा से रक्षा के लिए महिलाओं के लिए अनेक कानूनी प्रावधान
हैं व सहायता के कार्यक्रम हैं।
समस्या यह है कि प्राय: सबसे जरूरतमंद लोगों तक इन
कार्यक्रमों का लाभ नहीं पहुंच पाता है। न तो उनके पास इनकी जानकारी पंहुचती है, न वे इतने शिक्षित व सक्षम होते हैं कि इस राहत को प्राप्त करने के लिए
समुचित प्रयास वे कर सकें। इस स्थिति में निर्धन वर्ग के बीच निरंतरता से कार्य
करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता पूरी ईमानदारी व कर्मठता से अपनी भूमिका निभाएं तो
वास्तविक जरूरतमंदों तक सरकारी लाभ पहुंचाने में व घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं से
रक्षा उपलब्ध करवाने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। ऐसी ही भूमिका
जयपुर की अनेक निर्धन बस्तियों में पुष्पा सैनी ने निभाई है।
पुष्पा सैनी ने स्वयं अपने निजी जीवन में भी बहुत कठिन स्थितियों का
सामना सराहनीय साहस व दृढ़ निश्चय से किया है। प्रतिकूल स्थितियों में उन्होंने न
केवल उच्च शिक्षा प्राप्त की अपितु अपने को समाज सेवा के कार्यों से निरंतर जोड़ा।
पुष्पा का भरसक प्रयास रहा कि वे अन्य महिलाओं के दुख-दर्द को कम करने में सहायक
बनें। इस कार्य में उन्हें जानी-मानी समाज सेविका प्रो. रेणुका पामेचा से बहुत
सहयोग व प्रोत्साहन मिला। पुष्पा पहले उनकी छात्रा रही व फिर महिला हिंसा को कम
करने में उनकी सह-यात्री बनी। रेणुका पामेचा ने महिला सलाहकार एवं सुरक्षा केन्द्र
की स्थापना में व संचालन में अग्रणी भूमिका निभाई। हिंसा की शिकार महिलाओं को राहत
दिलवाने के लिए उन्होंने महिला थानों की स्थापना के लिए अथक प्रयास किए।
जब गांधीनगर (जयपुर) में महिला थाने की स्थापना हुई तो वहां महिला
सलाहकार एवं सुरक्षा केन्द्र ने उच्च गुणवत्ता की जो काऊंसलिंग उपलब्ध करवाई उससे
संकटग्रस्त महिलाओं की समस्याओं के समाधान में बहुत सहायता मिली। पुष्पा सैनी ने
भी पहले यहां काऊंसलिंग की ही जिम्मेदारी संभाली और इसे बहुत मेहनत व योग्यता से
निभाया। बाद में परिस्थितियां बदलने पर यह जरूरत महसूस हुई कि काऊंसलिंग व अन्य
सहायता का कार्य कुछ निर्धन बस्तियों की महिलाओं के अधिक नजदीक रहकर किया जाए।
इसी समय के आसपास पुष्पा सैनी को इस कार्य के लिए डैमोक्रेसी
फैलोशिप भी प्राप्त हुई। इस फैलोशिप के अंतर्गत उन्हें विभिन्न सामाजिक समस्याओं
से जूझने वाले अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलने व उनके अनुभवों से सीखने का
अवसर भी मिला। अनेेक स्तरों पर उन्हें क्षमता विकास के अवसर मिले व इससे अपनी नई
जिम्मेदारियों को निभाने में उन्हें सहायता मिली। पुष्पा का कार्यक्षेत्र जयपुर
में भट्टा नगर व शास्त्री नगर है।
यहां संजय नगर, राणा कालोनी जैसी अनेक
बस्तियां है। इन बस्तियों में निर्धन व जरूरतमंद लोग अधिक है। मुस्लिम बहुल आबादी
है। जरूरत पड़ने पर सामान्य कार्यक्षेत्र से बाहर भी पुष्पा पहुंचती हैं। इन
बस्तियों में महिला हिंसा की समस्या कम करने में पुष्पा की महत्त्वपूर्ण भूमिका
रही है। प्राय: हिंसा की शिकार अधिकांश महिलाओं का प्रयास यही होता है कि हिंसा
होने पर पति (या परिवार के अन्य सदस्य) पर हिंसा की राह छोड़ने के लिए दबाव पड़े।
इसमें पुष्पा की भूमिका महिला सलाहकार एवं सुरक्षा केन्द्र की सहायता से यह रहती
है कि उन्हें बुलाकर समझाया जाए व यह चेतावनी भी दी जाए कि यदि उन्होंने हिंसा की
राह नहीं छोड़ी तो कानून के अन्तर्गत बहुत कड़ी कार्यवाही उनके विरुद्ध होगी। प्राय:
इसका असर हिंसा करने वाले पुरुषों पर होता है व वे आगे हिंसा नहीं करते हैं।
पुष्पा ने चूंकि अपना कार्यालय इन बस्तियों के बहुत नजदीक बनाया है
व वहां निरंतर जाती रहती हैं, अत: अब महिलाओं के लिए
संपर्क करना सरल हो गया है व अधिक आसानी से वे अपनी समस्या का समाधान करा पाती है।
पुष्पा ने एक मिसाल कायम की है कि ई-मित्र की भूमिका को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से
निभाया जाए तो यह भूमिका कमजोर वर्ग, विशेषकर महिलाओं
के लिए कितनी लाभदायक हो सकती है।
ई-मित्र के माध्यम से महिलाओं को पेंशन, राशन, श्रमिक पंजीकरण, विभिन्न योजनाओं व पहचान पत्र
के लिए जरूरी सहायता भट्टा बस्ती, शास्त्री नगर आदि के
लोगों को उपलब्ध करवाई जाती हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी को पेंशन नहीं मिल रही है
या पहले मिलने के बाद अब रुक गई है तो पहले कंप्यूटर पर उसकी स्थिति को भली-भांति
देखकर जानकारी दी जाती है व फिर आगे जिस विभाग या अधिकारी से संपर्क करना है वह
सहायता भी दी जाती है।
जन-सुनवाई जैसे कार्यक्रम में भी उनकी समस्या को उठाया जाता है।
जन-सुनवाईयों के माध्यम से समस्याओं का समाधान प्राप्त करने का सामाजिक तरीका
असरदार सिद्ध हुआ है। महिलाओं में आजीविका अवसर बढ़ाने के लिए महिला पुनर्वास समूह
समिति इस क्षेत्र में सक्रिय रही है और पुष्पा संस्था की कार्यकर्ता के रूप में
सक्रिय है। इस संस्था की ओर से यहां सिलाई सिखाने का कार्य किया गया है जिसमें
स्थानीय महिलाओं ने बहुत रुचि ली।
आज अनेक महिलाए इस प्रशिक्षण पर आधारित अपनी आय के अवसर प्राप्त कर
सकी हैं या बढ़ा सकी हैं। शिक्षा के बाद युवाओं के लिए आजीविका व कौशल-वृद्धि के
अवसर कहां उपलब्ध हैं, इसके बारे में भी पुष्पा व समिति
की ओर से महत्त्वपूर्ण जानकारी बस्ती स्तर पर उपलब्ध करवाई जाती है। इस कारण अनेक
युवा महत्त्वपूर्ण प्रशिक्षणों से जुड़ सके व रोजगार प्राप्त कर सके।
पुष्पा सैनी का चयन 'डेमोक्रेसी फैलोशिप
के रूप में हुआ तो विभिन्न जिम्मदारियों को और भी बेहतर ढंग से निभाने के लिए
फष्पा को अपनी क्षमता वृद्धि के भी पर्याप्त अवसर मिले। उदाहरण के लिए ई-मित्र
चलाने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। यह प्रशिक्षण पुष्पा के लिए व्यवहारिक स्तर
पर बहुत उपयोगी रहा। इस फैलोशिप से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी बहुत कुछ
सीखने का अवसर मिला। विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी लोगों तक सहज व
सरल रूप में पहुंच सके, उसके लिए महिला पुनर्वास समूह
समिति ने दो बहुत उपयोगी पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया है। इन्हें तैयार करने में भी
पुष्पा ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया व अनेक कार्यालयों में जा कर वहंा से जरूरी
जानकारी प्राप्त की। अपनी समस्याओं से घबराए बिना उनका सामना मजबूती से करते हुए
पुष्पा ने जिस तरह सैंकड़ों महिलाओं की गंभीर समस्याओं के समाधान में महत्त्वपूर्ण
योगदान दिया है, यह बहुत हिम्मत वाली प्रेरणादायक
यात्रा रही है।
(भारत डोगरा)
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शर्मा
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