बंगलेनुमा आलीशान मकान में
बेतहाशा बजते लाउडस्पीकर पर
बज रहे हैं देशी-विदेशी गाने
चल रहे हैं दौर पार्टी में
एक से बढ़कर एक पकवानों के
परोसी जा रही हैं मेहमानों को
मंहगी लाजवाब विदेशी शराबें
थिरक रहे हैं मस्ती में कुछ जोड़े
दुनिया के रंजो-गम से बेफिक्र
मना रहे हैं सब मिलकर उत्सव
खुशियों का उपलब्धियों का
उसी आलीशान मकान से
कुछ सौ मीटर की दूरी पर
सड़क के किनारे बेकार से पड़े
पुलिया पाइप के अन्दर
मूसलाधार बरसती हुई रात में
भीगने से बचने की
असफल कोशिश में
पांच जनों का परिवार
गीले होकर ठिठुरते और
भूख से छटपटाते हुए
तीन साल के बच्चे को
रोटी न पहुंचा पाना
लोकतंत्र की अवमानना नहीं है
तो और क्या है माननीय!...
कृष्णधर शर्मा 2.9.2020
नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
गुरुवार, 10 सितंबर 2020
अवमानना
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