नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 9 सितंबर 2021

मनुष्य और भगवान्

मनुष्य, सिर्फ सोचता है अपने बारे में

और उनके बारे में भी जो उसके अपने हैं

जो उसके परिवार हैं या जो उसके पालतू हैं

वह फ़िक्र करता है उन्हीं की भूख-प्यास

दुःख-तकलीफ और स्वास्थ्य के बारे में

जिन्हें वह अपनी जिम्मेदारी समझता है

बाकी सब जीवों को वह

भगवन के भरोसे छोड़ देता है

यह सोचकर कि इन सबकी चिंता करना तो

भगवान की जिम्मेदारी है न!

मगर कमाल तो यह है कि

इतना सोचने के बाद भी वह

भगवान बनना चाहता है.....

                  (कृष्णधर शर्मा 9.9.2021)

 

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