बीमार होकर मरते हुए पक्षियों से अलग
वह
पक्षी जो अभी पूरी तरह से स्वस्थ थे
मगर
आगे वह भी बीमार हो सकते थे
और
जो बीमार होकर मानव सभ्यता को
उसके
अस्तित्व को नुकसान पहुंचा सकते थे
(हालाँकि
इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई कि
मनुष्य
के लिए पक्षी ज्यादा नुकसानदेह थे
या
पक्षियों के लिए मनुष्य)
उन
स्वस्थ पक्षियों को भी मार देने का
फैसला
सरकार ने ले लिया
क्योंकि
सरकार को भी मालूम था कि
बीमार
होते पक्षियों का इलाज करवा पाना
कम
से कम सरकार के बस की बात नहीं थी
और
फिर सरकारें तो कठिन और सरल में से
हमेशा
से ही सरल काम चुनती आई थीं
इसलिए
सरकार ने उन्हें मारने का फैसला चुना
अपनी
संभावित मृत्यु से बेतरह डरे
मनुष्यों
ने भी सरकार का ही साथ दिया
और
एक संभावित खतरे को समय रहते
सरकार
की सूझबूझ से टाल दिया गया.....
(कृष्णधर शर्मा 9.9.2021)
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