नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 9 सितंबर 2021

बर्ड फ़्लू

 बीमार होकर मरते हुए पक्षियों से अलग

वह पक्षी जो अभी पूरी तरह से स्वस्थ थे

मगर आगे वह भी बीमार हो सकते थे

और जो बीमार होकर मानव सभ्यता को

उसके अस्तित्व को नुकसान पहुंचा सकते थे

(हालाँकि इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई कि

मनुष्य के लिए पक्षी ज्यादा नुकसानदेह थे

या पक्षियों के लिए मनुष्य)

उन स्वस्थ पक्षियों को भी मार देने का

फैसला सरकार ने ले लिया

क्योंकि सरकार को भी मालूम था कि

बीमार होते पक्षियों का इलाज करवा पाना

कम से कम सरकार के बस की बात नहीं थी

और फिर सरकारें तो कठिन और सरल में से

हमेशा से ही सरल काम चुनती आई थीं

इसलिए सरकार ने उन्हें मारने का फैसला चुना

अपनी संभावित मृत्यु से बेतरह डरे

मनुष्यों ने भी सरकार का ही साथ दिया

और एक संभावित खतरे को समय रहते

सरकार की सूझबूझ से टाल दिया गया.....

                 (कृष्णधर शर्मा 9.9.2021)

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