नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 10 जनवरी 2022

विलियम शेक्सपीयर की सर्वश्रेष्ठ कहानियां- नरेश किंगर

 तीसरी आकृति बोली, “अन्य सभी हवायें मेरे शासन में हैं, मैं उन बन्दरगाहों एवं दिशाओं पर भी शासन करती हूं, जिनका पता नाविक दिक्सूचक (कम्पॉस) से पता लगाते हैं। मैं उसका सारा खून निचोड़ लूंगी और उसे घास के समान सुखा दूंगी। मैं उसकी आंखों से नींद छीन लूंगी, और वह एक अभिशप्त जीवन व्यतीत करेगा। वह धीरे-धीरे सूखता चला जाएगा। उसका जहाज डूबेगा तो नहीं, परन्तु वह भयंकर तूफानों से बरबाद हो जाएगा।" 

तभी उनके कानों में ढोल बजने की आवाज पड़ी। आवाज सुनते ही तीसरी आकृति कहने लगी, "मैं ढोल की आवाज सुन रही हूं। इससे साफ जाहिर है कि मैकबैथ युद्ध से विजयी होकर लौट रहा है। " (विलियम शेक्सपीयर की सर्वश्रेष्ठ कहानियां- नरेश किंगर)



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