तीसरी आकृति बोली, “अन्य सभी हवायें मेरे शासन में हैं, मैं उन बन्दरगाहों एवं दिशाओं पर भी शासन करती हूं, जिनका पता नाविक दिक्सूचक (कम्पॉस) से पता लगाते हैं। मैं उसका सारा खून निचोड़ लूंगी और उसे घास के समान सुखा दूंगी। मैं उसकी आंखों से नींद छीन लूंगी, और वह एक अभिशप्त जीवन व्यतीत करेगा। वह धीरे-धीरे सूखता चला जाएगा। उसका जहाज डूबेगा तो नहीं, परन्तु वह भयंकर तूफानों से बरबाद हो जाएगा।"
तभी उनके कानों में ढोल बजने की आवाज पड़ी। आवाज सुनते ही तीसरी आकृति कहने लगी, "मैं ढोल की आवाज सुन रही हूं। इससे साफ जाहिर है कि मैकबैथ युद्ध से विजयी होकर लौट रहा है। " (विलियम शेक्सपीयर की सर्वश्रेष्ठ कहानियां- नरेश किंगर)
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