नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 21 जून 2022

चालीस पार का आदमी

 चालीस पार का आदमी

जिसने देखे होते हैं दर्जनों सपने

अपने और अपनों के लिए

कि दिन-रात हाड़तोड़ मेहनत करके

कर सकूंगा इतनी व्यवस्था

कि एक समय के बाद

सुकून से बैठकर

ले सकूँ जिंदगी का आनंद

जिसके लिए कर दिए अपने

सैकड़ों सपने कुर्बान

यह सोचकर कि अभी

वक्त नहीं है आराम करने का

अभी अगर सोचा भी आराम के बारे में

तो आगे की जिन्दगीं

हो जाएगी बहुत ही कठिन

मगर जब एक समय के बाद

ठहरने की सोचता है इन्सान

तो पाता है कि अभी तो

बची हुई हैं इतनी जिम्मेदारियां

कि इस जन्म में आराम करना

लगभग असंभव जैसा ही है....

         (कृष्णधर शर्मा 21.6.2022)

 

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