चालीस पार का आदमी
जिसने
देखे होते हैं दर्जनों सपने
अपने
और अपनों के लिए
कि
दिन-रात हाड़तोड़ मेहनत करके
कर
सकूंगा इतनी व्यवस्था
कि
एक समय के बाद
सुकून
से बैठकर
ले
सकूँ जिंदगी का आनंद
जिसके
लिए कर दिए अपने
सैकड़ों
सपने कुर्बान
यह
सोचकर कि अभी
वक्त
नहीं है आराम करने का
अभी
अगर सोचा भी आराम के बारे में
तो
आगे की जिन्दगीं
हो
जाएगी बहुत ही कठिन
मगर
जब एक समय के बाद
ठहरने
की सोचता है इन्सान
तो
पाता है कि अभी तो
बची
हुई हैं इतनी जिम्मेदारियां
कि
इस जन्म में आराम करना
लगभग
असंभव जैसा ही है....
(कृष्णधर शर्मा 21.6.2022)
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