मई के आखिरी और जून के पहले सप्ताहों में
उबलती हुई सी
कोलतार की सपाट सड़कों से
गुजरते हुए अचानक
ही बेचैनी महसूस करते
वह गिर पड़ता है गश
खाकर सड़क के एक किनारे
बिखर जाती हैं हाथ
में पकड़ी हुई फाइलें
जिसमें संजोकर रखी
हुई हैं उसके ढेरों डिग्रियां
जिन्हें छाती से
लगाये घूम रहा है
वह पिछले कई सप्ताह
से
गगनचुम्बी
बिल्डिंगों में बने आलिशान ऑफिसों में
जहाँ से कई बार
घुसने से पहले ही
कर दिया गया बैरंग
चिट्ठी की तरह वापस
कि अभी यहाँ पर
नहीं है कोई वैकेंसी
कॉलेज की पढाई पूरी
कर लेने के बाद
घर से भी बहुत दबाव
था
जल्दी से कोई नौकरी
ढूँढने का
बहुत परेशान था वह
पिछले कुछ हफ़्तों से
घर से लाए हुए
रूपये भी खत्म हो रहे थे काफी तेजी से
और खत्म हो रही थी
उसकी ताकत भी रुपयों के साथ ही
और आखिरकार वह गिर
ही पड़ा आज चलते-चलते...
(कृष्णधर शर्मा 25.6.2022)
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