नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 25 जून 2022

नौकरी की तलाश

मई के आखिरी और जून के पहले सप्ताहों में

उबलती हुई सी कोलतार की सपाट सड़कों से

गुजरते हुए अचानक ही बेचैनी महसूस करते

वह गिर पड़ता है गश खाकर सड़क के एक किनारे

बिखर जाती हैं हाथ में पकड़ी हुई फाइलें

जिसमें संजोकर रखी हुई हैं उसके ढेरों डिग्रियां

जिन्हें छाती से लगाये घूम रहा है

वह पिछले कई सप्ताह से

गगनचुम्बी बिल्डिंगों में बने आलिशान ऑफिसों में

जहाँ से कई बार घुसने से पहले ही

कर दिया गया बैरंग चिट्ठी की तरह वापस 

कि अभी यहाँ पर नहीं है कोई वैकेंसी

कॉलेज की पढाई पूरी कर लेने के बाद

घर से भी बहुत दबाव था

जल्दी से कोई नौकरी ढूँढने का

बहुत परेशान था वह पिछले कुछ हफ़्तों से

घर से लाए हुए रूपये भी खत्म हो रहे थे काफी तेजी से

और खत्म हो रही थी उसकी ताकत भी रुपयों के साथ ही

और आखिरकार वह गिर ही पड़ा आज चलते-चलते...

                 (कृष्णधर शर्मा 25.6.2022)

 

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