दूर सारी तकलीफें अब हमसे हो गईं
दर्द से जबसे हमने दोस्ती कर ली
कृष्णधर शर्मा 19.10.22
नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
दूर सारी तकलीफें अब हमसे हो गईं
दर्द से जबसे हमने दोस्ती कर ली
कृष्णधर शर्मा 19.10.22
अधिकतर लोग काम करके, मेहनत-मजदूरी से
कमाते हैं, अपने
परिवार के गुजर-बसर के लिए
मगर एक शातिर
बुद्धिजीवी कमाता है
अपनी बुद्धि का
उपयोग या दुरुपयोग करके
जो रहता है तमाम
तकलीफ़ों के परे
एक सुविधासम्पन्न
वातानुकूलित मकान में
जो खुद कोई काम
करने के बजाय
अपनी कलम और जुबान
चलाना ज्यादा पसंद करता है
बेहद ही सुविधाभोगी
और अवसरवादी होता है
बुद्धिजीवी नाम का
यह शातिर प्राणी
अपनी सुविधानुसार
रिश्तों को “पाज़” कर देना
फिर अपनी
सुविधानुसार ही “रेज्यूम” कर देना
कायल हूँ मैं,
बुद्धिजीवीवियों की इस अद्भुत कला का
बहुत ही बारीकी से, लाभ-हानि का सारा गणित
कर लेते हैं अपने
ही पक्ष में, ये शातिर बुद्धिजीवी
कई बार आपको लगेगा
कि, आपकी तारीफ कर रहे हैं ये
मगर उस तारीफ में
भी, कितना मोटा मुनाफा
कमा लेते हैं ये
शातिर बुद्धिजीवी
यह समझना, आपके
बूते की बात नहीं है फिलहाल
जब तक, आप भी नहीं
बन जाते एक शातिर बुद्धिजीवी
(कृष्णधर शर्मा 9.10.2022)