कैसी तबियत है आपकी!
खाना
खा लिए या अभी नहीं!
और
सब तो ठीक-ठाक है न!
फोन
पर सिर्फ इतना सुन लेने से
दिन
में दो बार
खुश
हो जाते हैं माँ-बाप
क्योंकि
वह जानते हैं कि
बेटा
सिर्फ इतना ही पूछ सकता है
वह
चाहकर भी नहीं पूछ पाता है
कि
कुछ रूपये-पैसे की जरुरत तो नहीं है न!
चाहता
तो जरुर होगा बेटा यह पूछना!
मगर
क्या करे, उसकी भी तो गृहस्थी है न
उसके
बीवी-बच्चे हैं शहर में
जिनकी
जरूरतें भी तो हजार होती हैं
मंहगाई
के इस ज़माने में
इसलिए
वह नहीं पूछ पाता
अपने
माँ-बाप से कभी भी
हाँ, मगर जब भी आता है
गाँव
तो
अपने बीवी-बच्चों से छुपाकर
पकड़ा
देता है हजार-पांच सौ रूपये
मुक्त
हो जाता है अपने कर्तव्यों से
और
माँ-बाप के ऋणों से भी वह...
(कृष्णधर शर्मा 6.12.2022)
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