नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

नया बहेलिया

बहेलिया जाल बिछाता है

उसमें दाने फैलाता है

पंछी उस दाने के लालच में

जाल में फंस जाता है

आप कहेंगे इसमें नया क्या है!

इसमें नयी बात यह है कि

जो नया बहेलिया आया है

उसने भी वही जाल बिछाया है

वही दाने फैलाया है

मगर इसे बहेलिये का हुनर ही कहेंगे

जो पंछी उसके जाल में फंसता है

वह कुछ सोच-समझ ही नहीं पाता है

इसलिए वह बहेलिये का ही गुण गाता है

              (कृष्णधर शर्मा 13.12.2022)


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