"पानी से मछली को बाहर कर दीजिये और दूसरे साफ पोखरे में पुनर्वासित कर दीजिए, 80 फीसदी मछलियां इस विस्थापन-पुनर्वासन की प्रक्रिया में स्वतः मर जायेंगी।
भोले-भाले किसान जमीन के साथ पानी की मछलियों की तरह जुड़े हैं। वे जमीन से चिपककर खड़े हो गए। मछलियां विद्रोह नहीं कर सकती हैं, किसानों ने कहा -हम विद्रोह कर सकते हैं। पुनर्वास की शर्तों के बिना जमीन अधिग्रहण के हठ में सरकार ज्यादा आक्रामक होती गई। जनाक्रोश की टकराहट में नंदीग्राम जलने लगा।" (नंदीग्राम डायरी- पुष्पराज)
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