नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 18 मई 2023

नंदीग्राम डायरी- पुष्पराज

 "पानी से मछली को बाहर कर दीजिये और दूसरे साफ पोखरे में पुनर्वासित कर दीजिए, 80 फीसदी मछलियां इस विस्थापन-पुनर्वासन की प्रक्रिया में स्वतः मर जायेंगी। 

भोले-भाले किसान जमीन के साथ पानी की मछलियों की तरह जुड़े हैं। वे जमीन से चिपककर खड़े हो गए। मछलियां विद्रोह नहीं कर सकती हैं, किसानों ने कहा -हम विद्रोह कर सकते हैं। पुनर्वास की शर्तों के बिना जमीन अधिग्रहण के हठ में सरकार ज्यादा आक्रामक होती गई। जनाक्रोश की टकराहट में नंदीग्राम जलने लगा।" (नंदीग्राम डायरी- पुष्पराज)




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