नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 23 सितंबर 2024

जातक कथाएं-नरेंद्र शर्मा

 "एक खरगोश नारियल के पेड़ के नीचे आराम से सो रहा था, नींद में उसे यह ख्याल आया कि यह धरती फटने वाली है, इस धरती के फटने से सब कुछ नष्ट हो जाएगा। यह हरा-भरा जंगल धरती के फटते ही नीचे पातालदेश में पहुंच जाएगा। इसके साथ ही हम सब मारे जाएंगे।  

डर के मारे खरगोश का सारा शरीर कांप उठा। उसने समझ लिया कि अब उसका आखिरी वक्त करीब आ रहा है, इसी बीच नारियल के पेड़ से दो-चार नारियल एकदम से टूटकर नीचे आ गिरे। उनके नीचे गिरते ही एक जोरदार धमाका सा हुआ जिसे सुनकर पहले से ही डरा हुआ खरगोश और डर गया। यह धमाका सुनते ही वह समझ गया कि वास्तव में ही धरती फटने लगी है...। 

फिर क्या था, वह पागलों की भांति पेड़ के नीचे से उठकर भागा और साथ ही चीखने लगा- बचाओ, बचाओ। मौत आ रही है, बचाओ। उसे देखकर जंगल के और सारे जानवर भी भागने लगे और सब चिल्लाते जा रहे थे कि भागो-भागो धरती फटने वाली है, सब जान बचाकर भागो... (जातक कथाएं-नरेंद्र शर्मा)



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