नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

बुधवार, 18 सितंबर 2024

इंसान को इंसान बनाया जाए

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,

जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए.!!


जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर,

फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए.!!


आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में भी,

कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए.!!


प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए,

हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए.!!


मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा,

मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए.!!


जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे,

मेरा आँसू तेरी पलकों से उठाया जाए.!!


गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी,

ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए.!!


 गोपालदास नीरज 

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