सिपाही लड़ते हैं युद्ध अपने मोरचों पर
जनता
भी लडती है युद्ध
युद्ध
से होनेवाली समस्याओं से
आधुनिक
नायक बैठते हैं
सुरक्षित
और आरामदायक बंकरों में
जहाँ
से देते हैं बयान
दुश्मनों
को नेस्तोनाबूद करने का
जारी
करते हैं सन्देश
अपनी
जनता और सैनिकों के नाम
बढ़ाते
हैं उनका मनोबल
ताकि
आँख मूंदकर करें वे इन पर भरोसा
कि
देश को सही रास्ते पर लेकर
जा
रहे हैं उनके वीर नायक
जनता
या सैनिकों को कहाँ पता होता है
उनका
नायक अपने निजी अभिमान की खातिर
कितने
गहरे गड्ढे में धकेल रहा है देश को...
कृष्णधर शर्मा 22.6.25 (अमेरिका ईरान इजरायल
युद्ध)
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Samajkibaat समाज
की बात
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