नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

ओ बादल आते रहना

ओ बादल आते रहना हमेशा मेरे आंगन में

कभी सूरज के साथ आना तो कभी चन्दा के साथ

तुम आते हो तो जीवन में उमंग बनी रहती है

जीवन जीने की इच्छा मन में बची रहती है

ओ बादल तुम आते हो तो आते हैं तुम्हारे साथ

तुम्हारे ही भीतर छुपे हुए कई कई लोग

मैं देखता हूँ उनमें अपने जाने-पहचाने चेहरे

जो मिले होते हैं जीवन में किसी मोड़ पर कभी

फिर होती है आँख-मिचौली उनके साथ

बहुत अच्छा लगता है तुम्हारा आना

जैसे किसी प्रेमिका का आना

और मेरे सर को अपने गोद में रखकर

हौले-हौले से बालों को सहलाना

मेरे अन्दर बची हैं बहुत सारी बातें

जो करनी हैं तुमसे एक दिन खुलकर

एक तुम्ही तो हो मेरी उस प्रेमिका के बाद

जिससे की जा सकती हैं दुनिया जहान की

ढेर सारी बातें तुम्हारी गोद में सिर रखकर

कई-कई घंटे, दिन, महीने और सालों तक

जब तक ख़त्म न हो जाएँ सारी बातें

रीत न जाए मेरे मन में

भरी हुई बातों का खजाना...

      कृष्णधर शर्मा 8.9.25

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