नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 14 फ़रवरी 2009

मेजबान महिला परेशान थी।

एक पार्टी में काफी मुफ्तखोर घुस गए थे।
मेजबान महिला परेशान थी।

उसने अपने पति से कहा: मेहमान ज्यादा हैं, खाना कम! कैसे चलेगा?
पति बाहर जाकर बोला: लड़के वालों की तरफ से जो लोग आए हैं, कृपया अलग खड़े हो जाएं।

करीब 50 लोग अलग खड़े हो गए... 
  इसके बाद उसने कहा: लड़की वालों की तरफ से जो आए हैं, कृपया वे भी अलग खड़े हो जाएं।

इस बार करीब 40 लोग अलग खड़े हो गए...

अब वह मुस्कुराते हुए बोला: कृपया आप सभी लोग बाहर निकल जाएं, क्योंकि यह हमारे बच्चे की बर्थडे पार्टी है।



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