रमन और चमन दवा बेचने का काम करने लगे। चमन- यह दवा ले लीजिए, इसे खाने वाला सदा जवान रहता है, कभी बूढ़ा नहीं होता। मुझे देखिए अभी मेरी उम्र अभी सिर्फ तीन सौ साल है। दुकानदार (पास खड़े व्यक्ति से बोला)- क्या तुम्हें ये तीन सौ साल के लगते हैं। रमन- यह मैं कैसे बताऊँ! मैं तो इनके साथ डेढ सौ साल से हूँ।
नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें