नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 18 मार्च 2013

जब भारत के पीएम से ‘जुगाड़’ मांगा

कुछ विदेशी पर्यटक भारत घूमने आए.

एक गांव में उनकी बीएमडब्ल्यू कार खराब हो गई.

एक लोकल मकैनिक ने उसे ठीक कर दिया तो पर्यटक बहुत हैरान हुए.

उन्होंने मकैनिक से पूछा कि कैसे ठीक किया तो मकैनिक ने कहा- जुगाड़ से.
पर्यटक को ट्रेन का टिकट नहीं मिल रहा था, लेकिन एक एजेंट ने उन्हें टिकट दिलवा दिया.

वे फिर हैरान हुए और पूछा कि कैसे हुआ तो जवाब मिला- जुगाड़ से.
और भी कुछ जगह उन्हें दिक्कत आई, लेकिन हर जगह ‘जुगाड़’ से उनका काम बनता गया.
वे इस ‘जुगाड़’ सिस्टम से इतने प्रभावित हुए कि अपने देश लौट कर उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को लेटर लिखा कि भारत से ‘जुगाड़’ सिस्टम को मंगाया जाए,
यह हर बिगड़ा काम बना देता है.
उनके पीएम ने जब भारत के पीएम से ‘जुगाड़’ मांगा
तो भारत के पीएम ने कहा- :
.
हम नहीं दे सकते. यह दे दिया तो फिर हमारी सरकार कैसे चलेगी.!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें