तमन्ना फिर मचल जाये अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये मौसम ही बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
मुझे ग़म है के मैंने ज़िन्दगी में कुछ नहीं पाया,
ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
ये दुनिया भर के झगड़े घर के किस्से काम की बातें
बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ
जावेद अख्तर
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