नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ ना करे


वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ ना करे
मैं तुझको भूल के जिंदा रहूँ, खुदा ना करे.

रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर
ये और बात, मेरी ज़िन्दगी वफ़ा ना करे.

सुना है उसको मुहब्बत दुआए देती है
जो दिल पे चोट खाए मगर गिला ना करे.

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा ना करे.

खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करे
अगर करे तो क़यामत तलक जुदा ना करे.
                                                           कतील शिफ़ाई 

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