नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 9 जनवरी 2014

दिलीप कुमार (यूसुफ़ ख़ान)

 दिलीप कुमार (जन्म 11 दिसंबर, 1922; जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता और भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है।



दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है। उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान मे) मे हुआ था। उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहाँ उन्होने हिन्दी फिल्मों मे काम करना शुरू किया। उन्होने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया ताकि उन्हे हिन्दी फिल्मो मे ज्यादा पहचान और सफलता मिले।
दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 मे विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो की 22 वर्ष की थीं। 1980 मे कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी।
वर्ष 2000 से वे राज्य सभा के सदस्य है।
1980 मे उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1995 मे उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 मे उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया।

उनकी पहली फिल्म 'ज्वार भाटा' थी, जो 1944 मे आई। 1949 मे बनी फिल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फिल्म मे उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। दिदार (1951) और देवदास(1955) जैसी फिल्मो मे दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। मुगले-ए-आज़म (1960) मे उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फिल्म पहले श्वेत और श्याम थी, और 2004 मे रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 मे गंगा-जमुना फिल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।
1970, 1980 और 1990 के दशक मे उन्होने कम फिल्मो मे काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फिल्मे थी: विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार(1990) और सौदागर(1991)। 1998 मे बनी फिल्म किला उनकी आखरी फिल्म थी।
उन्होने रमेश सिप्पी की फिल्म शक्ति मे अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला।
वे आज भी प्रमुख अभिनेताओ जैसे शाहरूख खा़न के प्रेरणास्रोत्र है।

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

  • 1983 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शक्ति
  • 1968 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
  • 1965 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
  • 1961 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - कोहिनूर
  • 1958 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - नया दौर
  • 1957 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - देवदास
  • 1956 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आज़ाद
  • 1954 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दाग



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