नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

आवारा मसीहा

 शरत् ने उत्तर दिया, "यह आपकी भूल है। राजनीति में योग देना देशवासियों का कर्त्तव्य है। विशेषकर हमारे देश में यह राजनीतिक आन्दोलन देश की मुक्ति का आन्दोलन है। इस आन्दोलन में साहित्यिकों को सबसे आगे बढ़कर योग देना चाहिए। लोकमत जाग्रत् करने का गुरुभार संसार के सभी देशों में साहित्यिकों के ऊपर रहा है।"



#साहित्य_की_सोहबत

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