सरकारी अस्पताल
में घायल जवान की मरहम पट्टी करते हुए नर्स ने पूछा
"आप को इतनी सारी चोटें
कैसे लगीं!"
जवान ने जख्मों
के दर्द को दबाते हुए चेहरे पर बनावटी मुस्कान लाते हुए कहा
"वतन की मोहब्बत
के जख्म हैं ये"
नर्स ने कहा
"मैं समझी नहीं!"
"मुहब्बत में तो सुकून मिलता फिर जख्म
कैसे!"
जवान ने फिर
हँसते हुए कहा
"वह मोहब्बत ही कैसी जिसमें जख्म न मिलें"
इतना कहते-कहते जवान की आवाज ने गंभीरता का लबादा ओढ़ लिया था.
"हम अपने वतन और
वतनवालों की हिफाजत में अपनी जान की बाजी तक लगा जाते हैं, मगर वतनवाले हमारा स्वागत पत्थर मारकर करते हैं”
नर्स ने
कहा
"मगर पत्थर तो लोग पागलों को मारते हैं न!"
जवान ने फिर
हँसते हुए कहा
"हम भी किसी पागल से कम कहाँ हैं! जो अपना सबकुछ छोड़कर वतन की हिफाजत में अपनी सारी जिंदगी गुजार देते हैं!”
नर्स यह सुनकर
खुद भी जवान को पागलों की तरह देखती रह गई…
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