नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

कलाकार


वह किसी महान फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, जिसमें उनका पात्र मुख्य भूमिका में था. 
जिसने उन्होने दर्जनों गुंडों को कुछ ही पलों में धूल चटा दी थी और कई गरीबों की मदद की व उन्हें न्याय दिलाया. शॉट बहुत बढ़िया गया था. डायरेक्टर सहित सारी टीम बहुत खुश नजर आ रही थी. कुछ ही देर में पैकअप की उद्घोषणा हुई. शूटिंग के बड़े कलाकार तो निकल लिए और स्पॉटबॉय सहित बाकी लोग पैकअप के काम में लग गए.  मुख्य पात्र अपनी लग्जरी गाड़ी में सेक्रेटरी के साथ जा रहे थे. रास्ते में एक एक्सीडेंट हुआ था जिसमें 2-3 घायल सड़क पर पड़े तड़प रहे थे.  सेक्रेटरी ने कहा 
"सर हमें यहाँ पर रूककर घायलों की मदद करनी चाहिए”. 
मुख्य पात्र ने कहा 
"क्या बात करती हो!" 
"अरे हम कलाकार हैं, हमें इन झंझटों में नहीं पड़ना चाहिए. इनकी मदद के लिए तो हजारों लोग मिल जायेंगे
जी सर” 
सेक्रेटरी ने मुख्य पात्र की बात सुनते हुये कहा. मगर उसका मन कह रहा था कि 
“क्या खाक् कलाकार हो तुम!"
"अरे असली कलाकार तो दूसरो की मदद करते हैं, जो कि तुमसे हो ही नहीं सकती”
         (कृष्णधर शर्मा) 05.08.2018

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