"प्रेम तुम्हें तुम्हीं को समर्पित करने के अतिरिक्त कुछ नहीं देता, और न ही तुम्हें स्वयं पर न्यौछावर करने के अतिरिक्त तुमसे कुछ माँगता ही है। न तो यह अपने एवज में कुछ माँगता है और न ही यह तुम्हारे समर्पण के एवज में तुम्हें कुछ देगा। प्रेम तो अपने आप में ही परिपूर्ण है, पर्याप्त है। सुबह उठो तो प्रेम-आनन्दित हृदय से ईश्वर का धन्यवाद करो कि उसने तुम्हें प्यार करने के लिए एक और दिन दिया है।" (पैग़म्बर The Prophet- ख़लील जिब्रान)
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