भागम-भाग से थककर
जब उसने, मौत को
अपने गले लगाना चाहा
जिंदगी हर बार उसका
रास्ता रोककर खड़ी हो गई
तुम मुझे अपनी कैद से
आजाद क्यों नहीं होने देती!
जब-जब उसने पूछा सवाल
जिंदगी ने दिया उसे हरबार
वही रटा-रटाया जवाब
इससे पहले कि मौत को
तू अपने गले से लगा
अरे! जाने से पहले मेरा
कर्ज तो चुकाता जा...
(कृष्ण धर शर्मा, 11.08.2020)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें