नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 22 अगस्त 2020

बस्तर मेरा देश- सनत कुमार जैन

 "इन वन प्रान्तों में रहकर हमेशा से लगता था मुझमें जो ऊर्जा है वह यहां बहने वाली वायु से मिलती है। बसंत ग्रीष्म में आम के बौरों व काजू के फूलों से उठती मदमस्त गंध से, लाल टेसू के फूलों की लालाई से। मानों निश्छल पवन अपने अदृश्य झूलों में बिठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाती हो। इस प्राकृतिक ऊर्जा से लैस हर वक्त तरोताजा महसूस होता है। पर शहर की बंद गलियों में इस शरीर का रहना जीवन की भौतिक मजबूरी है। आत्मा तो आज भी गांव के खेत-खलिहान, जंगल-बियावान में भटकती है।"

 (बस्तर मेरा देश- सनत कुमार जैन)



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