"इतिहास के साधनों में शिलालेख, पुरालेख और साहित्य के समानान्तर कला भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके द्वारा हमें मानव की मानसिक प्रवृत्तियों का ज्ञान ही प्राप्त नहीं होता वरन निर्मितियों में उनका कौशल भी दिखलाई देता है। यह कौशल तत्कालीन मानव के विज्ञान तथा तकनीक के साथ-साथ समाज, धर्म, आर्थिक, और राजनीतिक विषयों का तथ्यात्मक विवरण प्रदान करने में इतिहास का स्रोत बन जाता है। इसमें स्थापत्य, मूर्ति, चित्र, मुद्रा, वस्त्राभूषण, श्रृंगार-प्रसाधन, घरेलू उपकरण इत्यादि जैसे कई विषय समाहित हैं जो पुनःविभिन्न भागों में विभक्त किये जा सकते हैं। (मध्यकालीन कला एवं संस्कृति एक सर्वेक्षण -धीरज कुमार राय)
#साहित्य_की_सोहबत #पढ़ेंगे_तो_सीखेंगे
#हिंदीसाहित्य #साहित्य #कृष्णधरशर्मा
Samajkibaat समाज
की बात
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें