नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 27 अगस्त 2022

गाँधी और प्रेमचन्द- श्रीभगवान सिंह

 सिर्फ मार्क्सवाद को प्रगतिशीलता का पर्याय बनाने वाली हिन्दी आलोचना की यह वर्चस्वशाली धारा आज भी प्रेमचंद को गाँधी विरोधी सिद्ध करने के दुष्चक्र से मुक्त नहीं हो पाई है। समझ में नही आता जिस गाँधी ने देश को राजनीतिक पराधीनता एवं नाना सामाजिक कुरीतियों से मुक्त कराने, किसानों की दशा सुधारने, अछूतोद्वार एवं स्त्री-सुधार, हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने, विश्व के समक्ष भारत की स्वदेशी विरासत को रखने, साम्प्रदायिक सौमनस्य कायम रखने जैसे कार्यों में अपने जीवन का उत्सर्ग कर दिया, उस गाँधी से साहित्यकारों को अप्रभावित दिखाने में क्यों कर प्रगतिवादी आलोचना ने प्रगतिशीलता का मिथ्याडम्बर खड़ा कर दिया। सरासर विसंगति के रूप में जिन मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, स्टालिन आदि का भारत की किसी समस्या के समाधान में कोई क्रियात्मक योगदान नहीं रहा, रहा तो सिर्फ उनके सिद्धान्तों का प्रचार, उनसे जुड़ने को प्रगतिशीलता की अनिवार्य शर्त बना दी गई। इसके लिए झूठ का पहाड़ खड़ा करते हुए सबसे अधिक प्रेमचंद के साहित्य का दुरुपयोग किया गया। 

सतही ढंग से प्रेमचंद के दो-चार कथनों के आधार पर उन्हें गाँधी से वितृष्णा रखने वाले लेखक की छवि प्रस्तुत करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अब तो युवा जोश से भरपूर ऐसे आलोचक अवतरित होने लगे हैं जो प्रेमचंद की वैचारिक निकटता गाँधी के बजाय भगत सिंह के साथ दिखाने लगे है। अभी हाल में डॉ. कमल किशोर गोयनका की पुस्तक 'प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन' आई है जिसमें उनके द्वारा हिन्दी उर्दू में लिखित कुल तीन सौ एक कहानियों का परिचय दिया हुआ है। इनमें एक कहानी भी ऐसी नहीं है जिसमें प्रेमचंद ने भगत सिंह सरीखे किसी पात्र को गढ़ कर उनके विचारों का महिमा मंडन किया हो। (गाँधी और प्रेमचन्द- श्रीभगवान सिंह)



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