नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

सोमवार, 12 सितंबर 2022

साहित्यिक संस्था के रजिस्टर

 नहीं पड़ता हूँ किसी गुटबाजी में

नहीं लिखा पाता अपना नाम

किसी भी साहित्यिक संस्था के रजिस्टर में

नहीं शामिल हो पाता देर रात तक चलनेवाली

बड़े-बड़े लेखकों की बड़ी-बड़ी पार्टियों में

जिसमें साहित्य के अलावा सबकुछ रहता है

नहीं लगा पाता मस्का किसी मसखरे लेखक को

उसकी अनाप-शनाप और लिजलिजी रचनाओं पर

नहीं कर पाता तारीफ किसी लिपी-पुती लेखिका की

औचित्यहीन कविताओं का

चाह कर भी नहीं बज पाती है मेरी ताली

किसी नामचीन लेखक की हलकी रचनाओं पर

अच्छा नहीं लगता मुझे अक्सर

खाए-अघाए बूढ़े लेखकों को

किसी नवयुवती लेखिका की खुशामद करते हुए

अपनी उम्र का भी ख्याल न करके लार टपकाते देखकर

               (कृष्णधर शर्मा 12.9.2022)

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