नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

वो 3 घंटे..रामलीला मैदान पर सरकार की रावणलीला By Neeraj Diwan

मैं और मेरा मित्र रात सवा बारह बजे रामलीला मैदान पहुंचे। इतनी रात जाने की वजह सिर्फ़ इतनी थी कि मुझे लग रहा था कि स्वामी रामदेव को ग़िरफ़्तार किया जा सकता है। मुझे उस वक़्त यह आभास हो चला था जब शाम को कपिल सिबल की प्रेस कॉफ्रेंस के जवाब में रामदेव ने यह ऐलान कर दिया था कि अब अनशन जारी रहेगा। पिछले चार दिनों में सरकार और रामदेव के बीच जो वार्ताएं चल रही थीं। उस पर पहला ब्रेक सिबल ने लगाया। ज़ाहिर है कि रामदेव को भी अपना जवाबी हमला करना था। लिहाज़ा यह शाम ढलते तक यह हो चुका था कि रामदेव अब अनशन जारी रखेंगे और सरकार चाहेगी कि अब वो बातचीत की बजाय डंडे से काम लेगी। जो कुछ देखा वो आपके सामने है-
12.40 पूरे रामलीला मैदान में सन्नाटा पसरा हुआ था। लोग सो रहे थे। स्वामी रामदेव अपने समर्थकों के साथ मंच पर सो रहे थे।
12.40 मंच के दाहिनी ओर के गेट पर पुलिसबल का आना शुरू हुआ। पुलिसबल की बढ़ती तादाद देखकर सुगबुगाहट बढ़ गई। अधिकारियों से पूछे जाने पर बताया गया कि ज्वाइंट पुलिस कमिनश्नर आने वाले हैं।
12.50 RAF के जवान दाहिने गेट से ही आने शुरू हो गए। लोकल पुलिस ने मेन गेट (जहां से सारा दिन आवाजाही चल रही थी) से सारे मेटल डिटेक्टर डोर हटा दिए। इसी गेट से दिल्ली पुलिस के जवान भी आने लगे।
12.51 दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी दाहिने गेट से अंदर आना शुरू हुए। सरगर्मी बढ़ते देख यह आभास होने लगा कि यह सारी कवायद स्वामी रामदेव को हिरासत में लेने के लिए की जा रही है। अब भी ज़्यादातर लोग सोए हुए थे। क्योंकि पुलिस दबे पांव पूरी तैयारी कर रही थी। मीडिया के कैमरे शुरू नहीं हुए थे।
12.55 पुलिस के जवानों ने मंच के करीब आना शुरू किया। समर्थक जागने लगे। जो हालात समझ रहे थे। उन्होंने लोगों को यह कहकर जगाना शुरू किया कि स्वामी जी को गिरफ़्तार किया जा रहा है। धीरे धीरे लोग मंच पर आने लगे। आपाधापी का माहौल हो गया। अब तक दोनों गेट से करीब पांच हज़ार जवान इकट्ठा हो चुके थे.. जिन्होंने पूरे पंडाल को दोनों तरफ़ से घेर लिया था।
12.55 कुछ रामदेव समर्थकों ने पुलिस के आला अधिकारियों को रोककर जानना चाहा कि क्या हो रहा है? क्या किया जाना है? अफ़सर कह रहे थे। योग शिविर की परमिशन रद्द कर दी गई है। और इस पूरे इलाक़े में धारा 144 लगा दी गई है। आप लोग सभी यहां से फ़ौरन चले जाएं। हालांकि पुलिस की ओर धारा 144 लगाए जाने की कोई घोषणा पब्लिकली नहीं की गई।
12.57 पुलिस के जवान मंच की ओर बढ़ रहे थे। अब तक मंच पर सभी जाग चुके थे। बाबा अपने कपड़े संभालकर उठ खड़े हुए। साथ आचार्य बालकृष्ण भी थे। पुलिस ने दाहिनी ओर से मंच पर चढने की कोशिश की। पुलिस के कुछ जवान रामदेव के नज़दीक पहुंच गए। एक जवान ने स्वामी रामदेव की बांह पकड़कर खीचने की कोशिश की जिसका समर्थकों ने विरोध किया.. इस झूमा-झटकी में करीब दस फीट ऊंचे मंच से स्वामी रामदेव गिरते-गिरते बचे..उन्हें मंच से नीचे कूदना पड़ा। अब स्वामी रामदेव को समर्थकों ने घेरकर मंच से नीचे उतारा।
01.10 रामदेव को उनके समर्थकों ने कंधों पर उठा लिया। पुलिस आगे बढ़ने लगी। समर्थकों बीच में दीवार बने रहे। अब तक सिर्फ़ नारेबाज़ी और हो-हल्ला होता रहा।
01.15 स्वामी रामदेव अपने समर्थकों के कंधे पर बैठकर मंच से नीचे तकरीबन पचास मीटर दूर भक्तों के बीच पहुंच चुके थे। उन्हें रिमोट माइक सौंपा गया जिससे वे लगातार अपील करते रहे कि पुलिसवाले समर्थकों से दूर रहे। महिलाएं और बच्चों से दूर रहें। लेकिन पुलिस बल आगे बढ़ता गया।
01.20 RAF के जवान आगे बढ़ने लगे। Tear Gas grenade Gun लेकर जवान मंच के नज़दीक आ गए। स्वामी रामदेव माइक पर बोलते रहे कि पुलिसवाले माता-बहनों से दूर रहे। समर्थकों से ज़बर्दस्ती ना करें। सभी गांधीवादी तरीक़े से पुलिस का विरोध करें।
01.40 स्वामी रामदेव के इर्दगिर्द महिलाओं का घेरा बन चुका था। इसके बाद उनके समर्थक, फिर तीसरा घेरा मीडिया का, अंतिम घेरे में रामदेव समर्थक थे। पुलिसवालों से इनकी भिड़ंत जारी थी। ये लोग हाथ जोड़कर, लेटकर पुलिसवालों से आगे ना जाने की अपील कर रहे थे।
01.45 दूसरी तरफ़ दिल्ली पुलिस बल के जवान लाठियां लेकर पंडाल में घुसने लगे। अब स्वामी रामदेव के साथ ज़बर्दस्ती शुरू हो चुकी थी। रामदेव लोगों के संबोधित करते रहे। उन्हें समर्थक सुरक्षा घेरे में लेकर वापस मंच की ओर बढ़ने लगे। मंच पर मौजूद पुलिसवालों को मिशन के लोगों ने हटाना शुरू किया।
02.00 भारी भीड़ के बीच रामदेव मंच पर पहुंच चुके थे। मंच पर उनके करीब ढाई सौ समर्थक आ चुके थे। नीचे पुलिसवाले समर्थकों को निशाना बनाने लगे। महिलाओं-बुजुर्गों और बच्चे इधर उधर भागने लगे। कई जगह लाइट बंद कर दी गईं थीं।
02.05 RAF के जवान दाहिनी ओर से मंच पर चढ़ने लगे। समर्थकों ने उन्हें ऊपर आने नहीं दिया। माइक बंद कर दिए गए थे। जवानों से समर्थकों की जमकर भिड़ंत हुई। जो सामने आया उसे लाठी पड़ी। जवान मंच पर चढ़ने में कामयाब नहीं हो पाए। हम यहीं से भागे.. खून के छीटें मंच पर टंगी सफेद झालर पर दिखे…
02.10 आंसू गैस का पहला गोल छोड़ा गया.. दूसरा गोल अगले मिनट.. कुल आठ गोले छोड़े गए। मंच के आसपास धुआं फैल गया। एक गोला फटने से मंच पर आग लग गई. इसे तुरंत समर्थकों ने बुझा दिया गया। पास में रखे फायर एस्टिग्यूशर की मदद से।
02.20 मंच पर स्वामी रामदेव अपने समर्थकों के साथ बैठे रहे। जवान मंच पर चढ़ने की असफल कोशिश करते देखे गए। मंच की सीढ़ियों पर ज़बर्दस्त संघर्ष हो रहा था। तभी मंच के पीछे से वाटर कैनन से बौझार शुरू हो गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। आंसू गैस का असर बढ़ चला था जो मंच से सौ मीटर दूर तक महसूस किया जा रहा था।
02.25 मंच से नीचे पंडाल में हर तरफ़ पुलिस वाले समर्थकों को उठा-उठाकर यहां से भाग जाने के लिए बोल रहे थे.. इसी बीच कुछ लोगों को स्ट्रेचर पर ले जाते हुए वालयंटर भी देखे गए।
02.30 मंच पर पुलिस-समर्थकों के बीच झड़प..आग.. आंसू गैस.. महिलाओं और बुज़ुर्गों की पिटाई हो रही थी.
02.35 अब तक मंच पूरी तरह तबाह हो चुका था.. लोग भाग चुके थे.. स्वामी रामदेव का कुछ पता ना था।
03.00 रात स्वामी रामदेव के बारे में कई खबरें आईं..स्वामी रामेदव को पुलिस ने ग़िरफ़्तार कर आफ़िसर्स मेस में रखा है..पुलिस ने नोएडा सीमा पर छोड़ दिया..पुलिस रामदेव को मुंबई-जयपुर ले जा सकती है वगैरह। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा कि स्वामी को गिरफ्तार नहीं किया गया।






 अंत में कुछ बातें और साफ़ करना चाहूंगा..
  1. योग शिविर का पंडाल किसी मायने में पंच सितारा सुविधाओं से सुसज्जित नहीं था। केवल पंखे देखकर ऐसा कहना किसी की बौद्धिक विलासिता का ही परिचायक हो सकता है। सच तो यह है कि यह पंडाल वाटर प्रूफ़ तक नहीं था। रात पहुंचने पर हमें यहां भारी गर्मी और उमस लग रही थी।
  2. पुलिस का आधी रात दबे पांव शिविर में आ जाना और स्वामी रामदेव को गिरफ्तार करने के लिए किसी भी हद तक चले जाना साबित करता है कि सरकार इस जमावड़े से बेहद डरी हुई थी।
  3. दिल्ली पुलिस का कहना है कि लाठी चार्ज नहीं किया गया। यह सरासर ग़लत है। लाठी चार्ज हुआ। आरएएफ़ के जवान वहां किसलिए थे? आरएएफ़ के जवानों को हमने लाठियां चलाते देखा। कैमरों की टोली से दूर मंच के दाहिनी ओर से चढ़ रहे आरएएफ़ के जवानों ने समर्थकों पर सबसे पहले लाठियां चलाईं। मैं दौड़कर अपने मोबाइल से वीडियो बनाने के लिए वहां पहुंचा ही था कि एक लाठी मेरी पीठ पर टच की गई। मैंने कहा प्रेस से हूं तो उस जवान ने मुझसे कहा कि आप यहां से जाइए वरना पिटोगे। हमें वहां से हटा दिया गया। मोबाइल कैमरा बंद कर दिया गया। इसके बाद भी समर्थकों के बयान, उनके ज़ख्म और टीवी चैनलों पर चल रही तस्वीरें गवाही देती हैं कि पुलिस की ज़्यादतियां किस हद तक थीं। तस्वीरें देखिए –



[नीरज दीवान के ब्लॉग  कीबोर्ड का सिपाही से साभार]

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय बंधुवर के डी शर्मा जी
    सादर वंदेमातरम् !

    रामलीला मैदान पर सरकार की रावणलीला आलेख पढ़ कर फिर वही पीड़ा ताज़ा हो गई । हमें इस पीड़ा को इस सरकार को जड़ से उखाड़ फैंकने तक कम नहीं होने देना है ।


    आपका बहुत बहुत आभार इस आलेख के लिए !

    नीरज दीवान जी के ब्लॉग कीबोर्ड का सिपाही का लिंक देना चाहिए था । उन तक भी आभार पहुंचाएं !

    मेरे ब्लॉग पर निम्नांकित लिंक द्वारा इसी से संबद्ध रचना देखें , और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया भी दें -
    ऐ दिल्ली वाली सरकार ! सौ धिक्कार !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. धन्‍यवाद शर्मा जी, नीरज भाई की रिपोर्टिंग को पुन: प्रकाशित करने के लिए.

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