नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 12 जनवरी 2014

अंशुमन्त अयोध्या के राजा

अंशुमन्त अयोध्या के राजा

यादवकुल
1 मनु | इला | पुरुरवस् | आयु | नहुष | ययाति | यदु | क्रोष्टु | 11 वृजिनिवन्त् | स्वाहि | रुशद्गु | चित्ररथ | शशबिन्दु | 21 पृथुश्रवस् | अन्तर | सुयज्ञ | उशनस् | शिनेयु | मरुत्त | 32 कम्बलबर्हिस् | रुक्मकवच | परावृत् | ज्यामघ | विदर्भ | 41 क्रथभीम | कुन्ति | धृष्ट | निर्वृति | विदूरथ | दशार्ह | व्योमन् | जीमूत | विकृति | भीमरथ | 51 रथवर | दशरथ | एकादशरथ | शकुनि | करम्भ | देवरात | देवक्षत्र | देवन | 61 मधु | पुरुवश | पुरुद्वन्त | जन्तु | सत्वन्त् | भीम | अन्धक | कुकुर | वृष्णि | कपोतरोमन | 80 विलोमन् | नल | अभिजित् | पुनर्वसु | उग्रसेन | कंस | 94 कृष्ण | साम्ब
पौरवकुल
1 मनु | इला | पुरुरवस् | आयु | नहुष | ययाति | पूरु | जनमेजय | प्राचीन्वन्त् | प्रवीर | 11 मनस्यु | अभयद | सुधन्वन् | बहुगव | संयति | अहंयाति | रौद्राश्व | ऋचेयु | मतिनार | तंसु | 43 दुष्यन्त | भरत | भरद्वाज | वितथ | भुवमन्यु | बृहत्क्षत्र | सुहोत्र | हस्तिन् | 53 अजमीढ | नील | सुशान्ति | पुरुजानु | ऋक्ष | भृम्यश्व | मुद्गल | 61 ब्रह्मिष्ठ | वध्र्यश्व | दिवोदास | मित्रयु | मैत्रेय | सृञ्जय | च्यवन | सुदास | संवरण | सोमक | 71 कुरु | परीक्षित १ | जनमेजय | भीमसेन | विदूरथ | सार्वभौम | जयत्सेन | अराधिन | महाभौम | 81 अयुतायुस् | अक्रोधन | देवातिथि | ऋक्ष २ | भीमसेन | दिलीप | प्रतीप | शन्तनु | भीष्म | विचित्रवीर्य | धृतराष्ट्र | 94 पाण्डव | अभिमन्यु | परीक्षित | जनमेजय
अयोध्याकुल
1 मनु | इक्ष्वाकु | विकुक्षि-शशाद | कुकुत्स्थ | अनेनस् | पृथु | विष्टराश्व | आर्द्र | युवनाश्व | श्रावस्त | 11 बृहदश्व | कुवलाश्व | दृढाश्व | प्रमोद | हरयश्व | निकुम्भ | संहताश्व | अकृशाश्व | प्रसेनजित् | युवनाश्व २ | 21 मान्धातृ | पुरुकुत्स | त्रसदस्यु | सम्भूत | अनरण्य | त्रसदश्व | हरयाश्व २ | वसुमत | त्रिधनवन् | त्रय्यारुण | 32 सत्यव्रत | हरिश्चन्द्र | रोहित | हरित | विजय | रुरुक | वृक | बाहु | 41 सगर | असमञ्जस् | अंशुमन्त | दिलीप १ | भगीरथ | श्रुत | नाभाग | अम्बरीश | सिन्धुद्वीप | अयुतायुस् | 51 ऋतुपर्ण | सर्वकाम | सुदास | मित्रसह | अश्मक | मूलक | शतरथ | ऐडविड | विश्वसह १ | दिलीप २ | 61दीर्घबाहु | रघु | अज | दशरथ | 65 राम | कुश | अतिथि | निषध | नल | 71 नभस् | पुण्डरीक | क्षेमधन्वन् | देवानीक | अहीनगु | पारिपात्र | बल | उक्थ | वज्रनाभ | शङ्खन् | 81 व्युषिताश्व | विश्वसह २ | हिरण्याभ | पुष्य | ध्रुवसन्धि | सुदर्शन | अग्निवर्ण | शीघ्र | मरु | प्रसुश्रुत | 91 सुसन्धि | अमर्ष | विश्रुतवन्त् | 94 बृहद्बल | बृहत्क्षय ['bhaarshiva]]
अन्य राजा

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