"प्रसंगपरक यही है कि चंडी गांव का अधिक भाग इस समय चंडी के हाथ से निकल गया है। शायद देवता का इससे कुछ आता-जाता नहीं, किंतु देवता के जो सेवक या पुजारी हैं, उनका क्रोध आज भी शांत नहीं हुआ है। अब भी झगड़े-बखेड़े होते रहते हैं, जो बीच-बीच में भयानक रूप धारण कर लेते हैं।" (लेन-देन शरतचन्द्र)
नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
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